
(Major Child Welfare Schemes)
- शुरूआत : 1998 में।
- लाभान्वित वर्ग – समस्त वर्ग की बालिकाएँ।
- प्राप्त लाभ – 6000 रु का चैक एकमुश्त दिया जाता है।
- पात्रता – वे सभी बालिकाएँ पात्र होगी जिन्होंने कक्षा 10 में 75 प्रतिशत अथवा 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये है। यह पुरस्कार बसंत पंचमी को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा दिया जाता है।
- शुरूआत : 2004-05 में।
- पात्रता – योजनान्तर्गत राजकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 में अध्ययनरत् बालिकाएँ जो कि शारीरिक रूप से दिव्यांग है। प्राप्त लाभ कक्षा 1 से 8 के अध्ययन पर 2000 रु. की आर्थिक सहायता प्रतिवर्ष दी जाती है तथा कक्षा 9 से 12 के अध्ययन पर 2500 रु. की आर्थिक सहायता प्रतिवर्ष दी जाती है।
- शुरूआत : 2005-06 में।
- पात्रता – राज्य सरकार द्वारा संचालित मूक बधिर एवं नेत्रहीन विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को। (कक्षा 1 से 12 में अध्ययनरत् बालिकाएँ)
- प्राप्त लाभ – योजनान्तर्गत प्रतिवर्ष 2000 रुपये की आर्थिक सहायता (कक्षा 1 से 8 के अध्ययन पर) तथा प्रतिवर्ष 5000 रुपये की आर्थिक सहायता (कक्षा 9 से 12 के अध्ययन पर) उपलब्ध करवाई जाती है।
- शुरूआत : योजना वर्ष 2004-05 से प्रारम्भ की गई।
- पात्रता – योजनान्तर्गत “गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की ऐसी बालिकाएँ जिनके माता-पिता दोनों अथवा एक का निधन हो गया हो” ऐसी बालिकाएँ जो कि राजकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 में अध्ययनरत् है को लाभान्वित किया जाता है।
- प्राप्त लाभ – कक्षा 1 से 8 में अध्ययनरत् बालिकाओं को 2100 रु. प्रतिवर्ष एवं कक्षा 9 से 12 में अध्ययनरत् को 2500 रु. प्रतिवर्ष आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
- शुरूआत : 2010-11 में।
- इस योजना के पहले नाम पद्माक्षी था जिसे 24 जनवरी, 2019 को बालिका दिवस पर बदल दिया। 2019-20 में प्रारंभ किया गया। योजना के बारे में विस्तार से माध्यमिक एवं प्रारम्भिक एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के अन्तर्गत अध्ययनरत सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, अति पिछड़ा वर्ग, निःशक्त वर्ग (दिव्यांग) एवं बी.पी.एल की ऐसी बालिकाओं को जो राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 8, 10 एवं 12 (कला, विज्ञान, वाणिज्य तीनों संकायों में अलग- अलग) की परीक्षाओं में प्रत्येक जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया हो।
- देय सुविधा – कक्षा 8 की बालिका को 40000 रूपये, कक्षा 10 की बालिका को 75000 रूपये एवं कक्षा 12 की सभी वर्गों (संकायों) की बालिकोंओं को 1,00,000 रूपये, के साथ-साथ स्कूटी ‘इन्दिरा प्रियदर्शिनी प्रस्कार’ के रूप में वर्ष 2019-20 से दिया जा रहा है।
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- शुरूआत : 2010-11 में
- पात्रता – राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10वीं की मैरिट में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाली बालिकाएं।
- प्राप्त लाभ – विदेश में स्नातक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया जाता है। अध्ययन का सम्पूर्ण व्यय (प्रतिवर्ष अधिकतम 25 लाख अधिकतम 3 वर्ष तक) बालिका शिक्षा फाउण्डेशन द्वारा वहन किया जाता है।
- शुरूआत : 2015-16 में।
- पात्रता – राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत बालिका जिसने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर द्वारा आयोजित कक्षा 10वीं की परीक्षा में जिले में प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली तथा एक बीपीएल एवं एक अनाथ बालिंका इस प्रकार प्रत्येक जिले से चार बालिकाएँ (न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक) इस योजना के लिए पात्र हैं।
- प्राप्त लाभ – योजना में चयनित बालिकाओं को कक्षा 11 एंव 12/व्यावसायिक शिक्षा / प्रशिक्षण हेतु 1,15,000 रूपये तक की सीमा में तथा स्नातकोत्तर तक की शिक्षा/प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु 2,25,000 रूपये तक की सीमा मे वित्तीय सहायता बालिका शिक्षा फाउण्डेशन के द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है।
- शुरूआत : 2008-09 में।
- पात्रता – कक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली बालिकाएँ।
- प्राप्त लाभ – 5000 रु. (1 वर्ष)
- शुरूआत : 2007-08 में।
- पात्रता – राजकीय विद्यालय में कक्षा 9 में अध्ययनरत सभी वर्गों बालिकाओं को देय है।
- शुरूआत : 2006-07 में।
- पात्रता – उदयपुर जिले के सभी राजकीय व पंजीकृत मदरसा में कक्षा 1 से 8 तक अध्ययनरत अनुसूची की बालिकाओं को।
- प्राप्त लाभ -1800 रु.
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- शुरूआत : 2007-08 में।
- पात्रता – कस्तूरबा गाँधी विद्यालय में नियमित अध्ययन वाली छात्राएँ। 10वीं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक लेकर 11 वीं में प्रवेश करने पर 2000 रु. STDR 5 वर्ष की अवधि तक तथा 12वीं में 50 प्रतिशत से अंक प्राप्त कर स्नातके प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने पर 4000 रु. STDR 3 वर्ष तक ।
- पात्रता – राजकीय विद्यालय में अध्ययरत 10वीं व 12वीं की छात्राओं को वितरित की जाती है। इसके अलावा अनुसूची जाति, जनजाति की ऐसी छात्राएँ जिन्होंने 10वीं ओर 12 वीं 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हों। तथा माता-पिता आयकर दाता ना हो।
- प्रथम स्तर शुरूआत – 2017-18 से।
- पात्रता – पहली से पाँचवी तक की कक्षाओं के बालक-बालिकाओं को 10 रु. प्रतिदिन और कक्षा 6 से 8 तक 15 रु. प्रतिदिन ।
- द्वितीय स्तर शुरूआत – 2007-08 में।
- पात्रता – 9वीं से 12वीं तक की बालिकाओं के लिए। जिनका विद्यालय 5 किमी. से दूर हो उन्हें 20 रु. या वास्तविक किराया जो भी कम हो।
- शुरूआत : 2005-06 में।
- पात्रता – 9वीं से 12वीं तक नियमित अध्ययरत बालिकाओं को 2000 रु. प्रतिवर्ष ।
- शुरूआत : 2010 में।
- पात्रता – राज्य के 10 जिले में 11 से 18 वर्ष की किशोरियों को पोषणीय व गैर-पोषणीय सेवाएँ दी जाती है। वर्तमान में यह योजना बंद है।
- शुरूआत : 1 जून, 2016 में।
- पात्रता – 1 जून 2016 के बाद जन्मी बालिकाओं के लिए।
- उद्देश्य – स्त्री जन्म दर बढ़ाने के उद्देश्य से। प्राप्त लाभ जन्म से लेकर 12वीं तक 50,000 रु. की आर्थिक सहायता ।
- पात्रता – छठी से बारहवीं तक बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण ।
- शुरूआत : 2009 से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा।
- उद्देश्य – प्रतिभावान विद्यार्थियों को मूल रूप से विज्ञान के विषय में कैरियर का चुनाव करने तथा विज्ञान अनुसंधान में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- पात्रता –
- राजकीय / गैर राजकीय मान्यता प्राप्त विद्यालयों के विद्यार्थी।
- कक्षा 6, 7, 8, 9, 10 में विज्ञान व गणित में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाला विद्यार्थी।
- छात्रवृत्ति – चयनित विद्यार्थी को 5000 रु. विज्ञान मॉडल तैयार करने हेतु ।
- राजस्थान के भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए एवं राज्य में महिला शिक्षा को प्रोत्साहन देने हेतु राज्य सरकार द्वारा यह योजना वर्ष 2001-2002 से प्रारम्भ की गई है।
- पात्रता –
- भूतपूर्व सैनिकों की कक्षा 11 व 12 में अध्ययनरत छात्राएँ।
- छात्रा के माता-पिता आयकर दाता नहीं हो।
- छात्रा को इसके अलावा अन्य किसी भी प्रकार की छात्रवृत्ति देय नहीं हो।
- गत कक्षा में 55 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त किये हों।
- छात्रवृत्ति – 1000 रुपये प्रति छात्रा प्रतिवर्ष।
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- निपुण (NIPUN) का पूरा नाम: नेशनल इनीशिऐटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एण्ड न्यूमेरेसी शिक्षा मंत्रालय (स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग) भारत सरकार द्वारा यह कार्यक्रम 5 जुलाई, 2021 को प्रारम्भ किया गया। इसे ‘राष्ट्रीय साक्षरता एवं संख्या ज्ञान दक्षता पहल’ भी कहा जाता है।
- यह कार्यक्रम समग्र शिक्षा अभियान का एक हिस्सा है।
- इसके अन्तर्गत बाल वाटिका के तहत कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों (3 से 9 वर्ष) का साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान का विकास किया जायेगा।
- 2026-27 तक प्रत्येक बच्चे को पढ़ने लिखने एवं अंकगणित सीखने की क्षमता प्रदान की जायेगी। अर्थात् FLN की समझ हो। यह योजना पाँच स्तरीय तंत्र राष्ट्रीय मिशन राज्य मिशन जिला मिशन खण्ड मिशन स्कूल मिशन के रूप में संचालित होगी।
- मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता (FLN – Foundation Literacy & Numeracy) यह निपुण भारत के अन्तर्गत संचालित एक कार्यक्रम है जो 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों को स्वास्थ्य, पढ़ना-लिखना व संख्यात्मक ज्ञान का विकास करने पर आधारित है।
- मुख्यमंत्री द्वारा 20 फरवरी, 2020 को राज्य भर के सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए शनिवार
- को ‘नो-बैग डे’ की घोषणा की। राजस्थान में सभी सरकारी स्कूलों में शनिवार को नो बैग डे (बस्ता मुक्त दिवस) मनाया जाएगा। शनिवार नो बैग डे (Saturday-No Bag day) को संस्था प्रधान एवं स्टाफ का ये कार्य रहेगा कि विद्यालय समय में विद्यार्थियों को विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रख सर्वांगीण विकास करने का दायित्व होगा। पूरे विद्यालय को विभिन्न सदनों में बांटकर सदन वार प्रतियोगिता करवाना। जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिता, योगाभ्यास, श्रमदान आदि।
- प्रत्येक शनिवार को कक्षा स्तर के अनुसार थीम आधारित निम्नलिखित गतिविधियाँ करवाई जानी है –
क्र. सं | माह के शनिवार का क्रम | थीम |
---|---|---|
1 | प्रथम शनिवार | राजस्थान को पहचानों |
2 | द्वितीय शनिवार | भाषा कौशल विकास |
3 | तृतीय शनिवार | खेलेगा राजस्थान बढ़ेगा राजस्थान |
4 | चतुर्थ शनिवार | मैं वैज्ञानिक बनूँगा |
5 | पंचम शनिवार | बाल सभा मेरे अपनों के साथ |
क्र. सं | समूह का नाम | कक्षा वर्ग |
---|---|---|
1 | अंकुर | कक्षा 1 से 2 |
2 | प्रवेश | कक्षा 3 से 5 |
3 | दिशा | कक्षा 6 से 8 |
4 | क्षितिज | कक्षा 9 से 10 |
5 | उन्नति | कक्षा 11 से 12 |
- बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेक नवाचारी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं-
- मीनामंच
- आत्म रक्षा
- गार्गी मंच
- अध्यापिका मंच
- प्रारम्भ सत्र 2018-19 से सामुदायिक गतिशीलता के बढ़ाने के लिए शनिवारीय बालसभा का आयोजन ग्राम चौपाल व ग्राम पंचायत स्थलों पर किया जाता है।
- नामांकन बढ़ाने, उपस्थिति बनाए रखने और बच्चों को पोषण स्थिति में सुधार के लिए,
- 15 अगस्त 1995 को एक केंद्र प्रायोजित योजना प्राथमिक शिक्षा के लिए पोषण सहायता का राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया गया। उद्देश्य – स्कूलों में बच्चों का नामांकन, ठहराव सुनिश्चित करना व उपस्थिति सुधारना और उन्हें हमेशा स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना तथा कुपोषण से मुक्ति दिलाना है।
- 2008-09 में इसका नाम बदलकर विद्यालयों में मध्याह्न भोजन का राष्ट्रीय कार्यक्रम कर दिया गया, जिसे लोकप्रिय रूप से मध्याह्न भोजन योजना के रूप में जाना जाता है।
- 1 जुलाई, 2002 से राजस्थान के सभी राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में प्रारम्भ किया गया। राजस्थान में कक्षा 6 से 8 तक के सभी बच्चों के लिए मिड-डे मिल। अप्रैल 2008 से सभी क्षेत्रों में प्रारम्भ किया गया।
- सत्र 2022-23 से सप्ताह में मंगलवार व शुक्रवार को पाउडर का दूध कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को दिया जाएगा। प्राथमिक कक्षाओं के लिए दूध की मात्रा 150 मि.ली. प्रति बालक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय बालकों के लिये 200 मि.ली. प्रति बालक दिया जायेगा।
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